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ब्रोंकोस्कोपी: क्या, क्यों और कैसे?

ब्रोंकोस्कोपी एक मेडिकल प्रक्रिया है जिसके ज़रिए डॉक्टर श्वसन मार्ग और फेफड़ों की जांच करते हैं। यह प्रक्रिया आमतौर पर फेफड़ों के डॉक्टर (पल्मोनोलॉजिस्ट) द्वारा की जाती है।

ब्रोंकोस्कोपी एक एसी प्रक्रिया होती है जिसकी मदद से डॉक्टर श्वसन मार्गों और फेफड़ों की जांच करते हैं। ब्रोंकोस्कोपी आमतौर उन डॉक्टरों के द्वारा की जाती है जो फेफड़ों से संबंधित समस्याओं के विशेषज्ञ (Pulmonologist) होते हैं। ब्रोंकोस्कोपी की प्रक्रिया के दौरान एक पतली ट्यूब जिसे ब्रोंकोस्कोप (Bronchoscope) कहा जाता है उसे नाक या मुंह के माध्यम से गले मे डाला जाता है।

ब्रोंकोस्कोपी कैसे काम करती है:

  1. ब्रोंकोस्कोप नामक एक पतली ट्यूब को नाक या मुंह के रास्ते गले में डाला जाता है।
  2. यह ट्यूब लचीली होती है, लेकिन कुछ मामलों में कठोर ब्रोंकोस्कोप का भी इस्तेमाल किया जाता है, जैसे कि अत्यधिक खून बहने या गले में कुछ फंसने की स्थिति में।

ब्रोंकोस्कोपी कब की जाती है:

  • लगातार खांसी या संक्रमण होने पर।
  • छाती का एक्स-रे में असामान्यता दिखने पर।
  • फेफड़ों से ऊतक या बलगम का नमूना लेने के लिए।
  • श्वसन मार्ग में फंसे हुए किसी अवरोध को निकालने के लिए।

ब्रोंकोस्कोपी के फायदे:

  • यह श्वसन मार्ग और फेफड़ों की गहन जांच करने का एक प्रभावी तरीका है।
  • कम आक्रामक प्रक्रिया है, यानी इसमें कट या चीरा नहीं लगाया जाता है।
  • त्वरित परिणाम मिलते हैं।

ब्रोंकोस्कोपी के जोखिम:

  • गले में खराश या खांसी होना।
  • संक्रमण का खतरा।
  • रक्तस्राव
  • श्वसन संबंधी समस्याएं

ब्रोंकोस्कोपी की तैयारी:

  • आपको कुछ दवाएं लेने के लिए कहा जा सकता है।
  • आपको प्रक्रिया से कुछ घंटे पहले तक कुछ भी खाने-पीने से मना किया जा सकता है।
  • आपको ढीले-ढाले कपड़े पहनने चाहिए।

ब्रोंकोस्कोपी के बाद:

 

  • आपको कुछ घंटों तक आराम करने की सलाह दी जा सकती है।
  • आपको गले में खराश या खांसी होने पर दवाएं दी जा सकती हैं।
  • आपको संक्रमण के लक्षणों के लिए सतर्क रहने के लिए कहा जाएगा।