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मुंह सूखना: कारण, बचाव और उपाय

मुंह सूखना, जिसे ज़ेरोस्टोमिया भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें लार ग्रंथियां पर्याप्त लार का उत्पादन नहीं करती हैं। लार मुंह को नम रखने, भोजन को पचाने और दांतों को क्षरण से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

लक्षण:

  • मुंह में सूखापन और चिपचिपाहट
  • चबाने और निगलने में कठिनाई
  • जीभ में जलन या दर्द
  • खराब सांस
  • गले में खराश
  • स्वाद में बदलाव
  • बोलने में कठिनाई
  • सूखे और फटे होंठ
  • दांतों में क्षरण

कारण:

  • दवाएं: कई दवाएं मुंह सूखने का एक दुष्प्रभाव हैं, जिनमें एंटीडिप्रेसेंट, एंटीहिस्टामाइन, रक्तचाप की दवाएं और मूत्रवर्धक शामिल हैं।
  • चिकित्सा स्थितियां: मधुमेह, Sjögren’s syndrome, ऑटोइम्यून रोग, और विकिरण चिकित्सा जैसी चिकित्सा स्थितियां मुंह सूखने का कारण बन सकती हैं।
  • जीवनशैली: धूम्रपान, शराब का सेवन, कैफीन का सेवन, और अपर्याप्त पानी पीना मुंह सूखने में योगदान कर सकते हैं।
  • श्वसन संबंधी समस्याएं: मुंह से सांस लेना, जैसे कि एलर्जी या नाक बंद होने के कारण, मुंह सूखने का कारण बन सकता है।
  • उम्र बढ़ना: जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, लार ग्रंथियां कम लार का उत्पादन करने लगती हैं।

निदान:

डॉक्टर आपके लक्षणों के बारे में पूछेंगे और आपकी मेडिकल हिस्ट्री लेंगे। वे आपके मुंह और गले की जांच भी कर सकते हैं। कुछ मामलों में, वे लार उत्पादन का आकलन करने के लिए परीक्षण कर सकते हैं।

उपचार:

मुंह सूखने के इलाज का मुख्य लक्ष्य लार ग्रंथियों को उत्तेजित करना और मुंह को नम रखना है।

  • कारण का इलाज: यदि मुंह सूखने का कारण कोई अंतर्निहित चिकित्सा स्थिति है, तो उस स्थिति का इलाज करना महत्वपूर्ण है।
  • दवाएं: कुछ दवाएं लार उत्पादन को बढ़ाने में मदद कर सकती हैं।
  • कृत्रिम लार: कृत्रिम लार मुंह को नम रखने में मदद कर सकती है।
  • जीवनशैली में बदलाव: धूम्रपान छोड़ना, शराब और कैफीन का सेवन कम करना, और खूब पानी पीना मुंह सूखने को कम करने में मदद कर सकता है।
  • मुंह की स्वच्छता: नियमित रूप से ब्रश करना और फ्लॉस करना महत्वपूर्ण है ताकि मुंह में बैक्टीरिया के विकास को रोका जा सके, जो मुंह सूखने को बदतर बना सकता है।

घरेलू उपाय:

  • पानी: खूब पानी पीना मुंह को नम रखने में मदद करता है।
  • चीनी मुक्त कैंडी या च्यूइंग गम: चीनी मुक्त कैंडी या च्यूइंग गम चूसने से लार का उत्पादन बढ़ सकता है।
  • एलोवेरा जेल: एलोवेरा जेल मुंह को शांत करने और नम करने में मदद कर सकता है।
  • नारियल पानी: नारियल पानी इलेक्ट्रोलाइट्स का एक अच्छा स्रोत है जो हाइड्रेशन में मदद करता है।
  • बर्फ के टुकड़े: बर्फ के टुकड़े चूसने से मुंह को ठंडा और नम रखने में मदद मिल सकती है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यदि आपको गंभीर या लगातार मुंह सूखने का अनुभव होता है, तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

सियालेंडोस्कोपी: लार ग्रंथि विकारों का निदान और उपचार

सियालेंडोस्कोपी एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है जिसका उपयोग लार ग्रंथि विकारों के निदान और उपचार के लिए किया जाता है। यह उन रोगियों के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो लार ग्रंथि से संबंधित समस्याओं का सामना कर रहे हैं, जैसे कि पथरी (Salivary stones), सख्ती (Strictures), पुरानी सूजन (Chronic inflammation), और अन्य समस्याएं जो प्रमुख लार ग्रंथियों को प्रभावित करती हैं।

प्रक्रिया:

सियालेंडोस्कोपी के दौरान, डॉक्टर एक पतले, लचीले एंडोस्कोप को लार ग्रंथि वाहिनी (Salivary gland duct) में डालते हैं। एंडोस्कोप में एक कैमरा और एक प्रकाश होता है जो डॉक्टर को लार ग्रंथि के अंदरूनी हिस्से को देखने की अनुमति देता है।

डॉक्टर एंडोस्कोप का उपयोग करके लार ग्रंथि में किसी भी असामान्यता को देख सकते हैं, जैसे कि पथरी, सख्ती, या सूजन। वे एंडोस्कोप का उपयोग करके लार ग्रंथि से ऊतक के नमूने भी ले सकते हैं, जिन्हें बायोप्सी (Biopsy) कहा जाता है।

उपयोग:

सियालेंडोस्कोपी का उपयोग विभिन्न प्रकार के लार ग्रंथि विकारों के निदान और उपचार के लिए किया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं:

  • पथरी (Salivary stones): सियालेंडोस्कोपी का उपयोग लार ग्रंथि वाहिनी में फंसे पथरों को निकालने के लिए किया जा सकता है।
  • सख्ती (Strictures): सियालेंडोस्कोपी का उपयोग लार ग्रंथि वाहिनी में सख्ती को चौड़ा करने के लिए किया जा सकता है।
  • पुरानी सूजन (Chronic inflammation): सियालेंडोस्कोपी का उपयोग लार ग्रंथि से सूजन वाले ऊतक को हटाने के लिए किया जा सकता है।
  • ट्यूमर (Tumors): सियालेंडोस्कोपी का उपयोग लार ग्रंथि में ट्यूमर का निदान और बायोप्सी करने के लिए किया जा सकता है।

लाभ:

सियालेंडोस्कोपी पारंपरिक सर्जरी की तुलना में कई लाभ प्रदान करता है, जिनमें शामिल हैं:

  • कम आक्रामक: सियालेंडोस्कोपी एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है जिसमें कोई बड़ा चीरा नहीं लगाया जाता है।
  • कम दर्द: सियालेंडोस्कोपी में पारंपरिक सर्जरी की तुलना में कम दर्द होता है।
  • तेजी से ठीक होना: सियालेंडोस्कोपी के बाद रोगी आमतौर पर जल्दी ठीक हो जाते हैं।
  • कम जोखिम: सियालेंडोस्कोपी में पारंपरिक सर्जरी की तुलना में कम जोखिम होता है।

जोखिम:

सियालेंडोस्कोपी से जुड़े कुछ संभावित जोखिमों में शामिल हैं:

  • संक्रमण: किसी भी सर्जिकल प्रक्रिया की तरह, सियालेंडोस्कोपी से संक्रमण का खतरा होता है।
  • रक्तस्राव: सियालेंडोस्कोपी से हल्का रक्तस्राव हो सकता है।
  • तंत्रिका क्षति: सियालेंडोस्कोपी के दौरान लार ग्रंथि के आसपास की नसों को नुकसान हो सकता है, जिससे अस्थायी सुन्नता या कमजोरी हो सकती है।